सोमवार, 18 अक्तूबर 2010

AAJ KA SUNDER DIN

नमश्कार आप सब का स्वागत है चाचा की दुनिया में चाचा एक रहस्यमई कलाकार है उसकी कला को केवल वो ही पसंद करते है आज कल एक नए चाचा की उत्पति हुई है वो कुछ हट कर मगर उसी की तरह है अरे ये क्या हुआ ये तो टी.वि. सीरियल की तरह चेहरे बदलने शुरू होगय चलो आज को क्या करना आप मजे लो ये चाचा हेमारे नेताओ की तरह है इलेक्शन से पहले बड़े चेह्कते है और हारने के बाद पूरी दुनिया में इनसे दुखी इंसान कोई नहीं होता वेसे ही इस चाचा की हालत है बेचारा शादी से पहले बेडा खुश रहता था मेरी तरह में भी शादी से पहले खुश रहता था अब ३६५ दिनों में से ५ ही दिन रहता हु मगर इस चाचा की हालत गंभीर है इसकी शादी के बाद इस की हालत इलेक्शन में हारे हुए नेता की तरह हो गई है पागलो की तरह कुछ न कुछ सोचता रहता है जेसे यार कब जायेगी अपने ससुराल ताकि तसली से बर्तन मांज सकू हे बेह्ग्वान क्या इसी दिन के लिए पैदा किया था मेरी बीवी को उठाले अरे उसे नहीं मेरे पड़ोसी को साला बेडा हस्ता है मुझे और मेरे दुखो को देख कर अगर आप ने उसे उसे मतलब मेरी बीवी को उठा लिया तो मुझे अपने मरने के बाद भी जीने नहीं देगी

शनिवार, 9 अक्तूबर 2010

Jai ho Jai ho Chacha ki phir Wapsi

जय करो जय करो चाचा जी की वापसी की आज चाचा के भतीजे के लड़के की पैदा होने पर पार्टी दी गई और जी गलती से अरे गलती से क्या बुलाया था तो गया था में भी चाचा जेसा होता जारहा हु सुधारना पड़ेगा चेलो तो जी हम सब पहुच गये आगे जा कर देखा तो चाचा जी वो ही अपने पियारे रंग में यानी यानी काले रंग में बिलकुल सही पहचाना अरे चाचा का तो है ही कला रंग और तो और पठे ने काली टी-शर्ट और कला लोवेर पहनकर रखा था और हमे हेमारी भाभी (चाचा की बीवी) से नहीं मिलवाया हम तो बोलते ही रहगए मगर मिलवाया ही नहीं और अपना दिन काला होने का इन्तजार करते रहे मेने उनके मुह से सुना की वो बोल रहे थे की यार रात कब होगी में तो कहने वाला था (कहने वाला था नहीं कह दिया था वो तो किसी ने सुना नहीं) की अँधेरे में क्या अपने ................ करोगे  चाचा केसा भी हो जब उन्होंने बात करनी आरम्भ की तो आछा लगा जय हो चाचा काले रंग वाले की
किसी ने कुछ लिखा है में आप तक पंहुचा रहा हु
एक दिन, एक पड़ोस का छोरा,


मेरे तै आके बोल्या :

"चाचा जी, अपनी इस्त्री दे दयो"



मैं चुप्प, वो फेर कहन लगाया :

"चाचा जी, अपनी इस्त्री दे दयो नै"



जब उसने यो कही दुबारा,

मन्ने अपनी बीरबानी की तरफ करा इशारा :

"ले जा भाई, यो बैठी"



छोरा कुछ शरमाया, कुछ मुस्काया,

फिर कहन लगाया :

"नहीं चाचा जी, वो कपडा आली"



मैं बोल्या, "अरे तन्ने  दिखे कोन्य

या कपडा मैं ही तो बैठी से"



वो छोरा फेर कहन लगाया :

"चाचा जी, आप तै मज़ाक करो सो

मन्ने तो वो कर्रेंट वाली चैहये"



मैं बोल्या, "अरे बावली औलाद,

तू हाथ लगाया के तो देख

या कर्रेंट भी मारे से"

राहुल टोकस

MERA PYAAR

मेरा प्यार कोई लड़की नहीं है और न ही कोई लड़का (बताना जरुरी है आज कल लोग पता नहीं क्या क्या सोच लेते है चलो पता चल गया होगा की न ही में कोई ठरकी हु और न ही कोई लडको का आशिक)
भइया सीधी बात नो बकवास अपना प्यार पेस्सा और इजत अब भईया जी दोनों चीजे तो मिल नहीं सकती या तो पहले पेस्सा कमाओ फिर इजत या फिर पहले इजत और बाद में पेस्सा ये रुले मेरे अकेल पर नहीं लागू होता आप सब पर भी होता है वो बात अलग है की कोई मानता है कोई नहीं मानता
यार इतना धियान देकर मत पड़ो में तो लिख लिख कर ही बोर हो गया आप पड़ कर नहीं हुए चेलो एक चुटकुला हो जाए ऊऊओह्ह्हीए हा हा आहा हा अह हा हा हा आहा ये चुटकुला नहीं है चुटकुले के बात का मजा है पता नहीं पड़ने के बात मजा आये या न आये इसलिए पहले मजे लो


मरते समय पति ने अपने पत्नी को सब कुछ सच बताना चाहा । उस ने कहा " मै तुम्हे जीवन भर धोखा देता रहा। सच तो यह है कि दर्जनो औरतों से मेरे नाजायज संबंध थे।"


पत्नी बोली, "मै भी सच बताना चाहूँगी । तुम बीमारी से नही मर रहे मैने तुम्हे धीरे-धीरे असर करने वाला जहर दिया है और ये बेच्चे भी मुझे नहीं पता किस किस के है मगर आप के नहीं है मुझे मा....... माफी मांगने से पहले ही मर गये ओह्ह... मर तो गया है अब इजत भी क्या देनी साले रास्ते के काटे।"

तो जी ये है आज की भारतीय नारी आप की और हेमारी प्यारी

बुधवार, 15 सितंबर 2010

hi

और दोस्तों केसे हो आप सब यार मेरे पास नेट नहीं होता इसलिए ब्लॉग नहीं लिख पता पर आज है तो जितना लिख सकता हूँ लिख देता हु
यारो हम सब कुछ न कुछ हासिल करना चाहते है पर कुछ ही कर पाते है एसा क्यों होता है में भी अपनी लाइफ में कुछ हासिल करना चाहता हु और कोशिश कर रहा हु देखो कब सफ़ल होते है कुछ नै काहानिया तो है बुत टाइम नहीं ट्रेन निकल जाएगी टिक है फिरभी ट्रेनों के बारे में सुनिए
साली ७० क. म. का रास्ता ३ घंटे में भी पूरा नहीं कर पाती मै शाम को ६.१५ मिनट पर ट्रेन में बता हूँ और रात को ९.३० से १० बजे तक घर में घुसता हु रोज मैडम के दाइलोग्स सुनता हु बेटी सो जाती है क्या करे लाइफ इस हेल इन ट्रेन

शनिवार, 3 जुलाई 2010

Welcome back to me plzzzzzzzzzz yaarrrrrrr

और दोस्तों की हाल से तुवाडा चलो छोड़ो काफी दिनों मै मिल रहे हो केसे हो और सुनाओ कुछ नै ताज़ा चलो छोड़ो मै ही सुनाता है आज कल मेरे ऑफिस में नया बुडा ( बूडा तो क्या ठरकी बुडा कह सकते है ) उसके बारे मै कुछ नई कहानिया जोड़ी है एक एक करके सूना शुरू करता हु वेसे तो वो कुछ शरीफ से है मगर ठरकी बोलने से कुछ मसाला मिल जाता है 

चलो क्या आप को पता है वो १० किलो रस्गुले खाजाते है अरे आप को केसे पता चलेगा मैंने तो बताया ही नहीं यार आप रस्गुले भेजो अपने आप पता चल जायेगा बिहारी बाबू बहुत कमाल के है हमेशा एक न एक कहानी होती है उनके पास और दुनिया की सारी घटनाएं उनके साथ ही घटित होती है चलो वो अब मेरे पास आचुके है और देख रहे है की मै क्या लिख रहा हूँ उनके बारे मै मेरा स्वभाव ही ऐसा है मै बाहुत ही शरीफ और सीधा इंसान हूँ बस हफ्ते मै पांच दिन बीयर पिता हूँ साथ मै ताश भी खेलही लेता हूँ चलो छोड़ो क्या हुआ कुआँ नहीं करता सब करते है मै मस्त हूँ ना प्रशन भी खुद करता ही और उत्तर भी खुद ही देता हूँ वाह वाह वाह क्या बात है

काहनी अगली बार सुनाऊंगा sms bhete raha kro yaar kya hua esi bhi kya narajgi hai kam se kam e-mail to kro koi to kro wo nahi jo tum soch rehe ho achi e-mail kro ok

byeeeeeeeee

शनिवार, 20 मार्च 2010

एक मेल जो दिल हिला दे

यह ईमेल मुझे भी किसी ने भेजी है पर मई इसे आप सब के साथ शेयर करना चाहता हु अगर किसी को किसी तरह की आपति है या ये किसी की निजी सम्पति है तो क्रप्या मुझे बता दे मै इन तस्वीरों को तुरंत हेता लूँगा और अची लगे तो एसे लोगो की मदत करे मानव जाती पर आप का यह ऋण रहेगा

शुक्रवार, 12 मार्च 2010

लाइफ इस आउट ऑफ़ कण्ट्रोल

जब लाइफ हो आउट ऑफ़ कण्ट्रोल होटो को कर के गोल सिटी बेजा कर बोल अल इस हेल भेइया आल इज हेल
व्हाट इज लाइफ क्या पता है किसी को कोई बोलता है जीवन संघर्ष है कोई बोलता है जीवन जीने का नाम है कोई बोलता है जीवन रोज जीने का नाम है कोई बोलता है जीवन को हस कर जीना सीखो अबे यार जिसके ऊपर बीतती है और जो खाली दिल से काम लेता है और अपने से जयादा दुसरो की परवह करता है जेसे अपनी फॅमिली की और दोस्तों की उपर जितने भी तरीके बाये गए है जीवन  को जीने के इसे सिर्फ वो ही जी सकते है जिन्हें अपने अलावा किसी और की परवह न हो वो ही इंसान इसे जी सकता है हम भारतीयों की सबसे बड़ी dikat  yehi होती है की अपनी izaat और फॅमिली के bare mai kuch जायदा ही चिंता करते है अब आप ही sochiye की वो इंसान sukhi rhe सकता है जो ghut ghut कर jita है
 नहीं kabhi भी नहीं इस photo को dikhiye kute jesi halat है इस इंसान की shakal से ही preshaan najar aata है ye to kuch नहीं agar आप अब ise dekhenge to और deya aaygi आप को परन्तु ये इंसान deyaa  के लैक ही नहीं है बहुत मतलबी है ये अपने matlab के liye ही baat करता है कुछ तो येही सोचते है पर हमे क्या करना है इसे log सिर्फ अपने krmo का fal ही bhogte rehte है जीवन bhar इसे insaano के paas कुछ नहीं hota बीएस मांगने मै लगे रहते है कमीने बेडा kamina इंसान है ये ek number का kamina kutta esa iske कुछ khass जो iske दिल के paas रहते है वो भी bolte है अब आप betaliye इसे इंसान का क्या kra jaye क्या ये इंसान उपर betye gye teriko को जीने का hak rakhta है agar rakhta है तो kese ?
ये तो बहुत bada kamina है kese ये आप को अब iski kahaniya सुन कर पता chelega की जीवन kesa hota है और इसे कमीने इंसान भी इस duniya मै hote है .

गुरुवार, 11 फ़रवरी 2010

चाचा जी की कविता

काली काली काली हर चीज काली,
एक थी कुतिया साली पर थी वो काली,
थी वो खलनाइका फिर केसे मानु में उसको भोलिबाहली,
साली मरी सारी चीज कियो है काली,
काली जर्सी, कला मफलर, काले गुलाब और कुतिया भी काली,
काली काली काली हर चीज काली,
पैंट काली शर्ट काली सूट काला साली जुराब भी काली,
काली काली काली हर चीज काली,
काली साइकल, काले बाल साली मुछ भी काली,
बालो के रंग कर साला वो भी काला,
काली काली काली हर चीज काली,
कुतिया काली साली कुतिया भाग कर और होगेई काली,

सोमवार, 1 फ़रवरी 2010

3. chacha ji ki wapsi

चाचा जी की वापसी फिहलाल नहीं हो पारही है इसका पूरा श्रे भारतीय रेलवे को जाता है हमारे चाचा जी जब सुबहे ट्रेन पकड़ने को उटते है तो उनको ये नहीं पता होता की कितने बजे ऑफिस पहुचेंगे और ऑफिस अब वो १ से १.३० बजे के बिच ही पहुचते है और बॉस की सुन कर ६ बजे निकलने की सोचते है मगर घर भी लेट ही पहुचते है और भाभी (मैं चाचा जी को चाचा जी पर उनकी धर्मपत्नी को भाभी बोलता हूँ इसके लिए भी चाचा जी से मार पड़ती रहती है छोड़ो वो हेमारे आपस का मामला है) जी से डाट खाते है पर बताते नहीं है गुप्तचरों से सुचना प्राप्त होती रहती है कभी कभी मुझे लगता है की चाचा जी ये सब जानभुझ कर करते है पर येही तो चाचा जी गन्दी आदत है मै क्या बोल रहा हूँ मुझे खुद समझ नहीं आरहा है और आप   कितने मजे से सब कुछ देख रहे है चेलो अछी बात है चाचा जी ने पता नहीं क्या

मंगलवार, 19 जनवरी 2010

चाचा और चाचा का रंगीला अंदाज


बोलो चाचा काले रंग वाले की लेलेले......ले एसे शुरू होता है चाचा का रंगीला अंदाज. चाचा जी के रंगीले अंदाज को बताना व उसे लिखना मुश्किल है पर में कोशिश कररहा हूँ चाचा जी के बारे में मैने आप को काफी कुछ बतया है पर सबकुछ नहीं चाचा जी को हाथ लगाना मतलब काले नाग के सामने डांस करने के बराबर है (मैने काले नाग को इसलिए चुना कियो की चाचा को कला रंग पसंद है) मैने चाचा के पैर पर अपना हाथ रखा तो चाचा जी ने पेहले मना किया और कहा रहने दे कुछ कुछ होता है मैने सोचा ऐसा मैने किया कर दिया की चाचा जी को कुछ कुछ होने लगा मुझे चाचा जी के चरित्र पर शक हुआ मुझे क्या मरी जगह अगर आप होते तो आप को भी होता मेने पूछा किया हुआ चाचा ने काहा गुदगुदी होती है और भी बहुत कुछ होता है  मेने मन में कहा फिर क्या मैने ये बात अपने दोस्त को बताई और मेरे दोस्त ने भी चाचा के पेरो पर हाथ रखना शुरू कर दिया और चाचा से रोहोज मार खाने लगे अब ये आलम है की हमें आदत हो गई और चाचा को मजे आने लगे मगर दिखावे के लिए हम दोनों को मारेंगे जरुर अब आप को धीरे धीरे चाचा जी का चेरित्र समझ में आरहा होगा
एक दिन में और चाचा जी दोनों ट्रेन में बेठे थे की एक सुंदर स्त्री मेरे पास आकर बेठ गई चाचा जी सामने बेठे थे उनको इतना बर्दाश नहीं हुवा की वह मेरे पास कियो बेटी है पर बोल सकते नहीं खली देख सकते है तो मैने कहा आप देखते हुवे ही अछे लगते हो बस चाचा जी को मोका मिल गया मुझे मारने का पर मार सकते नहीं कियो की औरत सामने बेठी है मेने तुरंत कहा लेलेलेलेलेले........... बोलो ना देखा बुढपा जाते जाते भी जोर मर रहा है चाचा जी ने आज उनोहोने काला मफलर पहना था तो बोलो काले रंग वाले की लेलेलेलेलेलेले..........लेलेना...................

शनिवार, 16 जनवरी 2010

२. चाचा जी और काले गुलाब के पौधे

उमीद है आप को हमारे चाचा जी की काहनी और उनका चेरित्र पसंद आया होगा हमारे चाचा जी शकल से शरीफ है  नहीं वेसे चरित्र के भी है पर कभी कभी उनको कुछ कुछ होता है उनको क्या सब को होता है आप को मुझे पर चाचा जी जितना नहीं न मुंकिन चाचा को तो पता नहीं क्या क्या होता है कभी कभी तो मुझे लगता है लगता क्या उनको सच मैं कोई बीमारी है चेलिये चाचा जी की बीमारी के बारे में आप को उनकी आगली कहनी में बेतायंगे. अभी चाचा जी की नई काहनी काले गुलाब का फुल सुनिए .
जैसा की मैंने पिछली काहनी में आप को चाचा जी के घर के पास एक मन्दिर के बारे में बताया था  अरे जहाँ चाचा जी गाव की औरतो का पानी भेर्वाते है  दरसल पानी कम अपनी आँखों को भरते है औरतो को देख कर काली चदर ओढ़ कर चाहे कुछ भी हो जाए चाचा जी काले रंग को नहीं छोड़ेगे किया आप नहीं मानते तो आकर चाचा को घिस  कर देखलो मगर इतना याद रखना वो चाचा है कोई चिराग नहीं की जिन बाहर आजायेगा  चाचा है चाचा और चाचा वो भी ट्रेन वाला कुछ भी बाहर आसकता है कियो की चाचा के साथ कुछ भी हो सकता है   
तो आगे बढ़े उस मन्दिर की देखरेख चाचा जी ही करते है पर एक दिन चाचा जी को मन्दिर के बगीचे के लिए कुछ गुलाब के पौधो की जेरूर्त थी चाचा जी ने गुलाब के पौधो की खोज का अभियान आरम्भ किया चाचा जी की आदत है की वो छोटी छोटी बातो को दिल से लेगा लेते है और टेंशन लेलेते है अब चाचा जी को कई दिनों की खोज के बाद भी पौधे नहीं मिले चाचा जी की पुरानी आदत ट्रेन में पूछने लेगे गुलाब के पौधे मिल जायंगे वो भी किस्से भला कौन मुझसे और मेरी आदत की चाचा जी कुछ बोले मुझे इंतजार रहता है मैंने कहा पौधे किया ट्रेन में खिले है बस चाचा को मारने  का मोका मिल गया और एक थपड मेरे गाल पर अब आप देखिये चाचा जी गुलाब भी कौन से ढूंडरहे थे कोई तो सफेद लाल पीले धुन्ड़ता है  वो काले गुलाब का पौधा ढूंड रहे थे मेने खा की आप को काली चीजे ही क्यों पसंद है सारी काली चीजे ही लेते  हो कुतिया ली वो भी काली गुलाब चाहिए वो भी काले रात को कोई काली वस्तु गम हो गयी तो टोर्च भी काली मांगना वा मेरे काले चाचा और देखिये चाचा ने नए पुराने आते जाते सब को कह  दिया पर सब का एक ही जवाब १०० मैं से ११० बेईमान पर चाचा सब का मेहमान

शुक्रवार, 8 जनवरी 2010

चाचा ट्रेन वाला



कहानी चाचा ट्रेन वाले की



  • मै और चाचा हम दोनों ट्रेन से आते है हमारे चाचा जी बड़े ही रंगीले है रंगीले का mtlab क्रिपिया gelet न ले आप की इति कृपा होगी

चाचा जी की उम्र ४० से ४२ वेर्ष होगी lekinचाचा जी के दोस्त सारे १८ से ३० वेर्ष के है कोई एक या दो ही उनकी उम्र के है चाचा जी अपने आप मैं एक कोमेडियन है अगर कोई उनसे बात न केरे तो वो बेचेन हो जाते है चाचा जी का जनम एक जनवरी को हुवा था सन का तो मुझे भी नहीं पता है पर aaलोगो को या मुझे सन जान कर क्या करना है क्यों सही कहा ना चाचा जी दीखने मैं थोड़े सावले थोड़े क्या पुरे ही तो सावले है जब भी मैं चाचा को छेड़ता हूँ (नोट :- कृप्या छेड़ने का गलत मतलब ना निकले नहीं तो चाचा जी मुझे पीर से पीटेंगे ) उनकी एक ही प्रतिक्रिया होती है ले लेले जेसे तो सोना चांदी बात रहे हो चाचा जी अपने आप मैं दुनिया के ९ अजूबे है उन्हें कोई लडकी दिख जाय तो वो एसे हो जाते है जसे किसी ने उनके शरीर मैं कर्रेंट छोड़ दिया हो कान बंदर की तरह खड़े हो जाते है और मुह को एसे बाहर की तरफ करते है जसे बंदर करता है । जब हेमने चाचा को चाचा कहेना शुरू किया तो पूरी ट्रेन मैं वो चाचा के नाम से प्रसिद्ध हो गए । तो बोलो चाचा ट्रेन वाले की क्या करना है जय बोल कर चेले आगे । आब चाचा की कथाये आरम्भ की जाय

प्रथम कथा आरम्भ करने से पहले चाचा को याद करे

१ चाचा की काली कुतिया :

हमारे चाचा जी (नराज ना हो आप के भी चाचा है ) ने एक छोटी कुतिया पाली थी वो काली थोड़ी चाचा जेसी (एरे शक्ल से नहीं हेर्केतो से ) क्यों ? यह जानने के कथा आरम्भ करते है । चाचा जी के घर के पास एक नया मन्दिर बन रहा है चाचा जी बताते है वो मन्दिर के कर्ता अथवा संचालक कहते है चलो होंगे हमे क्या करना है हम तो मजे लेने वालो में से है चाचा की हर बात मेंएक कहानी होती है चाचा जी हर रविवार को मन्दिर मैं होते है अगर चाचा ने आप से रविवार को मिलने का वडा किया है तो आप भूल जावो चाचा नहीं आयंगे कियो की गॉव की औरतो का पानी वो ही बेर्वाते है और अगर बारिश हो जाए तो अपने कमरे मैं से उनको देखते है । एक बार चाचा जी ने एक छोटी पर खोटी काली कुतिया पाली नाम कर्ण तो अभी किया नहीं था की एक दुर्घटना घटी साली कुती और किसी के साथ भाग गयी चाचा ने उसे इसलिए पाला था की कोई नहीं दिखेगी तो कुती से काम चेललेगे पर दिल टूटा कुती को और कोई ले भागा कई दिन तो खाना भी नहीं भाया कियोकी कुती ने साथ नहीं निभाया । चाचा ने ट्रेन मैं भी पुछा पर कुती का पता आज तक नहीं चला चाचा का दिल है नाजुक पर कुती को कंहा परवा वो तो फिल्मो की ख्ल्नाइका निकली धोका दे क्र भाग गई क्या करे जात ही इसी है चलो चाचा को समझाया सदमे से भाहर लाया मगर चाचा को अभी भी चेन ना आया काली सुंदर कुती को जो गवाया एब चाचा जी टीक है कभी कभी याद आती है तो शान्ति से ट्रेन मैं बेठ जाती है फिर वो की देर किसी से बाते नहीं करते पर कोई नया वेयक्ति बात करे तो जेवाब जरुर देते है चाचा हो जेसे भी उनके बिना ट्रेन मैं टाइम पास नहीं होता चाचा को जेसे पता चला की मैंने उनके बारे में लिखना आरम्भ किया है तो उन्होंने दो मेरे कान के निचे दिए पर मैं भी धीट हूँ बाज नहीं आऊंगा क्यों की उनसे अछी कानी कोई नहीं दे सकता ।