उमीद है आप को हमारे चाचा जी की काहनी और उनका चेरित्र पसंद आया होगा हमारे चाचा जी शकल से शरीफ है नहीं वेसे चरित्र के भी है पर कभी कभी उनको कुछ कुछ होता है उनको क्या सब को होता है आप को मुझे पर चाचा जी जितना नहीं न मुंकिन चाचा को तो पता नहीं क्या क्या होता है कभी कभी तो मुझे लगता है लगता क्या उनको सच मैं कोई बीमारी है चेलिये चाचा जी की बीमारी के बारे में आप को उनकी आगली कहनी में बेतायंगे. अभी चाचा जी की नई काहनी काले गुलाब का फुल सुनिए .
जैसा की मैंने पिछली काहनी में आप को चाचा जी के घर के पास एक मन्दिर के बारे में बताया था अरे जहाँ चाचा जी गाव की औरतो का पानी भेर्वाते है दरसल पानी कम अपनी आँखों को भरते है औरतो को देख कर काली चदर ओढ़ कर चाहे कुछ भी हो जाए चाचा जी काले रंग को नहीं छोड़ेगे किया आप नहीं मानते तो आकर चाचा को घिस कर देखलो मगर इतना याद रखना वो चाचा है कोई चिराग नहीं की जिन बाहर आजायेगा चाचा है चाचा और चाचा वो भी ट्रेन वाला कुछ भी बाहर आसकता है कियो की चाचा के साथ कुछ भी हो सकता है
तो आगे बढ़े उस मन्दिर की देखरेख चाचा जी ही करते है पर एक दिन चाचा जी को मन्दिर के बगीचे के लिए कुछ गुलाब के पौधो की जेरूर्त थी चाचा जी ने गुलाब के पौधो की खोज का अभियान आरम्भ किया चाचा जी की आदत है की वो छोटी छोटी बातो को दिल से लेगा लेते है और टेंशन लेलेते है अब चाचा जी को कई दिनों की खोज के बाद भी पौधे नहीं मिले चाचा जी की पुरानी आदत ट्रेन में पूछने लेगे गुलाब के पौधे मिल जायंगे वो भी किस्से भला कौन मुझसे और मेरी आदत की चाचा जी कुछ बोले मुझे इंतजार रहता है मैंने कहा पौधे किया ट्रेन में खिले है बस चाचा को मारने का मोका मिल गया और एक थपड मेरे गाल पर अब आप देखिये चाचा जी गुलाब भी कौन से ढूंडरहे थे कोई तो सफेद लाल पीले धुन्ड़ता है वो काले गुलाब का पौधा ढूंड रहे थे मेने खा की आप को काली चीजे ही क्यों पसंद है सारी काली चीजे ही लेते हो कुतिया ली वो भी काली गुलाब चाहिए वो भी काले रात को कोई काली वस्तु गम हो गयी तो टोर्च भी काली मांगना वा मेरे काले चाचा और देखिये चाचा ने नए पुराने आते जाते सब को कह दिया पर सब का एक ही जवाब १०० मैं से ११० बेईमान पर चाचा सब का मेहमान
तो आगे बढ़े उस मन्दिर की देखरेख चाचा जी ही करते है पर एक दिन चाचा जी को मन्दिर के बगीचे के लिए कुछ गुलाब के पौधो की जेरूर्त थी चाचा जी ने गुलाब के पौधो की खोज का अभियान आरम्भ किया चाचा जी की आदत है की वो छोटी छोटी बातो को दिल से लेगा लेते है और टेंशन लेलेते है अब चाचा जी को कई दिनों की खोज के बाद भी पौधे नहीं मिले चाचा जी की पुरानी आदत ट्रेन में पूछने लेगे गुलाब के पौधे मिल जायंगे वो भी किस्से भला कौन मुझसे और मेरी आदत की चाचा जी कुछ बोले मुझे इंतजार रहता है मैंने कहा पौधे किया ट्रेन में खिले है बस चाचा को मारने का मोका मिल गया और एक थपड मेरे गाल पर अब आप देखिये चाचा जी गुलाब भी कौन से ढूंडरहे थे कोई तो सफेद लाल पीले धुन्ड़ता है वो काले गुलाब का पौधा ढूंड रहे थे मेने खा की आप को काली चीजे ही क्यों पसंद है सारी काली चीजे ही लेते हो कुतिया ली वो भी काली गुलाब चाहिए वो भी काले रात को कोई काली वस्तु गम हो गयी तो टोर्च भी काली मांगना वा मेरे काले चाचा और देखिये चाचा ने नए पुराने आते जाते सब को कह दिया पर सब का एक ही जवाब १०० मैं से ११० बेईमान पर चाचा सब का मेहमान
9 टिप्पणियां:
welldone
अच्छा लिखा है
हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में वैकल्पिक मीडिया का प्रतिनिधि "जनोक्ति परिवार "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . आप हमारे ब्लॉग अग्रीगेटर पर भी पंजीयन कर सकते हैं . नीचे लिंक दिए गये हैं .
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welcome..
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
hello bro ...........maine dekha mst likha h lge rho .....jyda lmba mat likha kro .....thode me jyda smjha diya karo okey ..........carry on .......take care
आपकी रचना अछी लगी...अच्छा विषये है लिखते रहो
लिखना एक महान काम है लिखने से एक लाभ ये है की
हम अपने किल की बात आसानी से लोगो तक पहुंचा पाते हैं |
http://www.aaina-e-waqt.blogspot.com
great
इस नए ब्लॉग के साथ आपका हिन्दी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. आपसे बहुत उम्मीद रहेगी हमें .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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