सोमवार, 1 फ़रवरी 2010

3. chacha ji ki wapsi

चाचा जी की वापसी फिहलाल नहीं हो पारही है इसका पूरा श्रे भारतीय रेलवे को जाता है हमारे चाचा जी जब सुबहे ट्रेन पकड़ने को उटते है तो उनको ये नहीं पता होता की कितने बजे ऑफिस पहुचेंगे और ऑफिस अब वो १ से १.३० बजे के बिच ही पहुचते है और बॉस की सुन कर ६ बजे निकलने की सोचते है मगर घर भी लेट ही पहुचते है और भाभी (मैं चाचा जी को चाचा जी पर उनकी धर्मपत्नी को भाभी बोलता हूँ इसके लिए भी चाचा जी से मार पड़ती रहती है छोड़ो वो हेमारे आपस का मामला है) जी से डाट खाते है पर बताते नहीं है गुप्तचरों से सुचना प्राप्त होती रहती है कभी कभी मुझे लगता है की चाचा जी ये सब जानभुझ कर करते है पर येही तो चाचा जी गन्दी आदत है मै क्या बोल रहा हूँ मुझे खुद समझ नहीं आरहा है और आप   कितने मजे से सब कुछ देख रहे है चेलो अछी बात है चाचा जी ने पता नहीं क्या

1 टिप्पणी:

अन्तर सोहिल ने कहा…

मजा आ रहा है
हा-हा-हा