गुरुवार, 11 फ़रवरी 2010

चाचा जी की कविता

काली काली काली हर चीज काली,
एक थी कुतिया साली पर थी वो काली,
थी वो खलनाइका फिर केसे मानु में उसको भोलिबाहली,
साली मरी सारी चीज कियो है काली,
काली जर्सी, कला मफलर, काले गुलाब और कुतिया भी काली,
काली काली काली हर चीज काली,
पैंट काली शर्ट काली सूट काला साली जुराब भी काली,
काली काली काली हर चीज काली,
काली साइकल, काले बाल साली मुछ भी काली,
बालो के रंग कर साला वो भी काला,
काली काली काली हर चीज काली,
कुतिया काली साली कुतिया भाग कर और होगेई काली,