बुधवार, 15 सितंबर 2010

hi

और दोस्तों केसे हो आप सब यार मेरे पास नेट नहीं होता इसलिए ब्लॉग नहीं लिख पता पर आज है तो जितना लिख सकता हूँ लिख देता हु
यारो हम सब कुछ न कुछ हासिल करना चाहते है पर कुछ ही कर पाते है एसा क्यों होता है में भी अपनी लाइफ में कुछ हासिल करना चाहता हु और कोशिश कर रहा हु देखो कब सफ़ल होते है कुछ नै काहानिया तो है बुत टाइम नहीं ट्रेन निकल जाएगी टिक है फिरभी ट्रेनों के बारे में सुनिए
साली ७० क. म. का रास्ता ३ घंटे में भी पूरा नहीं कर पाती मै शाम को ६.१५ मिनट पर ट्रेन में बता हूँ और रात को ९.३० से १० बजे तक घर में घुसता हु रोज मैडम के दाइलोग्स सुनता हु बेटी सो जाती है क्या करे लाइफ इस हेल इन ट्रेन